दिवाली क्यों मनाई जाती है

दिवाली क्यों मनाई जाती है? जानें दिवाली के सभी दिनों का महत्त्व

दिवाली के बारे में आपको जितना बताया जाए उतना ही कम है, तो आइये दिवाली से जुड़ी कुछ बातों पर प्रकाश डालते है और जानते है की हिंदुत्व में दिवाली का क्या महत्त्व हैं? दिवाली क्यों मनाई जाती हैं?

दिवाली क्यों मनाई जाती है

आइये जानते है दिवाली क्यों मनाई जाती हैं? दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे पुरे देश में बड़ी धूम धाम और हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है, हर कोई दिवाली को मनाता है। दिवाली के दिन पूरा देश एक अलग ही उजाले में रंग जाता है, चरों तरफ दीपक की रौशनी से जगमगाता हर शहर हर गांव का एक अलग ही स्वरूप देखने को मिलता हैं।

दिवाली क्यों मनाई जाती है, दिवाली मनाने के पीछे पौराणिक कारण है। हजारों वर्षो पहले जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम 14 वर्षो का वनवास काटकर और रावण का वध करके पुनः अयोध्या वापस लोटे थे तो उनके आने की ख़ुशी में सभी अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या में अपने हर घर को दीये की रौशनी से जगमगा दिया था, ऐसा कहा जाता है की जिस दिन प्रभु श्री राम अयोध्या वापस लोटे थे उस समय पूरी अयोध्या दीपक रौशनी में समा गयी थी।

तब से दिवाली को दीपो का उत्सव भी कहा जाता है तब से हर वर्ष हर भारतवासी दिवाली के दिन अपने घर में दीपक अवश्य लगाते है चाहे वह किसी भी धर्म का ही क्यों न हो, इस त्यौहार को हर कोई बड़े उत्साह के साथ मनाता है।

दिवाली का महत्व

दिवाली का महत्व 

 दीपक का उजाला बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतिक माना जाता है, प्रभु श्रीराम की बुराई पर जीत का प्रतिक माना जाता है। ऐसा माना जाता है की दिवाली पर जहाँ तक दीपक की रौशनी जाती है वहां तक सभी बुरी शक्तियो का नाश हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है। इसलिए हर किसी को दिवाली के दिन अपने घरो में दीपक जलाकर बुराई पर अच्छाई का सन्देश देना चाहिए।

दीपावली का अर्थ

दीपावली खुशियों का त्यौहार माना जाता है, इस दिन श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ऐसा माना जाता है की माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन का आगमन होता है और घर में खुशियाँ निवास करती है। दीपावली संस्कृत के दो शब्दो से मिलकर बना है, “दिप” का अर्थ होता है दीपक, और “आवली” का अर्थ होता है श्रंखला, इसका मतलब हुआ दीपों की श्रंखला। दीपों को जलाकर दीपोत्सव के रूप में भी दिवाली मनाई जाती है।

दीपावली कब से और क्यों मनाई जाती है?

उम्मीद है आप समझ गये होंगे की दिवाली क्यों मनाई जाती हैं, अब बात करते है की दिवाली कब मनाई जाती है? दिवाली का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है, भगवान श्री राम को इस दिन विशेष मान्यता दी गयी है। दिवाली हर वर्ष शरद ऋतू में अक्टूबर से नवंबर के बीच कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है।

 भगवान श्री राम को याद करके दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है, भगवान श्री राम जब वनवास से अयोध्या वापस लौटकर आये थे, तो सभी अयोध्यावासियो ने दीपक जलाकर उत्सव मनाया था, तभी से दिवाली हर वर्ष मनाई जाती है।

2022 की दिवाली कितने तारीख को है?

2022 की दिवाली 24 अक्टूबर को सोमवार को मनाई जाएगी। जिसे सोमवार ही कहा जाता है। दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात्रि 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसी मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें मनाने की कोशिश की जाएगी।

दीपावली कैसे मनाई जाएगी?

दिवाली को दीपों का त्यौहार भी कहते है, दिवाली के दिन पूरा हिंदुस्तान दीपो की रौशनी में रंगा दिखाई देता है। घर-घर दीपक जलाए जाते है, पटाखें जलाए जाते है, आतिशबाजियां होती है। हर कोई एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाए देता है और एक दूसरे को गले लगाकर साथ में पटाखे और दिए जलाते है। 

 इस दिन हर घर में तरह-तरह की मिठाइयां और पकवान बनाए जाते है, सभी एक दूसरे का मुँह मीठा कर दिवाली की शुभकामनाए देते है और फिर बड़ी धूम धाम से इस त्यौहार को मनाते है। 

धनतेरस 2022 : धनतेरस क्यों मनाई जाती है?

दिवाली को पांच दिनों का त्यौहार माना जाता है, इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है, इसके बाद रूपचौदस या इसे एक और नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद हम दिवाली के शुभ दिन में प्रवेश करते है, दिवाली अमावस्या की रात्रि में मानते है।

 जब देवताओं और राक्षशों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए समुन्द्र मंथन हुआ था तब भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान् धन्वन्तरि प्रकट हुये थे उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी इसी लिए हर वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस मनाई जाती है।

 पौराणिक मान्यता है की इस दिन धातु की वस्तुएँ खरीदना बहुत सुबह माना जाता है,इस दिन धातु की वस्तुएं खरीदने से कहीं गुना वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन चांदी के आभूषण खरीदना भी शुभ माना जाता है, इसीलिए इस दिन गणेशजी की और माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदी जाती है।

 धनतेरस को शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीपक प्रज्वलित किये जाते है, ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है और सभी बुरी शक्तियां समाप्त हो जाती है। धनतेरस के दिन धातुओं से बनी वस्तुओं की पूजा भी की जाती है। ये दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।

भैया दूज क्यों मनाई जाती है?

भैया दूज का त्यौहार बहन और भाई के प्यार को समर्पित किया गया है, इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है, उसकी लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है। भैया दूज दिवाली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है।

भैया दूज क्यों मनाई जाती है

 भैया दूज में मृत्यु के देवता यमराज की भी मान्यता है ऐसा माना जाता है, की कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यम अपनी बहन यमुना के यहाँ उनकी बहन के आग्रह पर भोजन करने गए थे। तब उन्होंने अपनी बहन को वरदान दिया था जिसके फलस्वरूप यह भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती है, इस दिन बहन अपने भाई के नाम का एक दीपक जलाती है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

भाई इस दिन बहन के द्वारा भोजन पर आमंत्रित करने के बाद अपनी बहन के वहां भोजन ग्रहण करने लिए जाता है। बहन इस दिन अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए उपवास भी रखती है। यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतिक है।

2022 में दिवाली कब है?

2022 में दिवाली 24 अक्टूबर को है।

धनतेरस कब है?

धनतेरस रविवार 23 अक्टूबर को है।

हम आशा करते है की आपको यह समझने मे मदद मिली होगी की दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसके क्या महत्व है, यह कब और कैसे मनाई जाती है। हमारी तरफ से आप सभी पाठको को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाए।

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