निर्जला एकादशी व्रत के बारे में जाने।   

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निर्जला एकादशी व्रत के कई महत्व है। भारतीय महिलाएँ इसे हर वर्ष करती है। 

एक Year में वैसे तो 24 एकादशी के व्रत आते है। लेकिन सबको निर्जला एकादशी नही कहते है।

जेष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 10 जून को मनाई जाएगी। 

निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र माना जाता है, इससे बड़ा पुण्य मिलता है और मनोकामना पूरी होती है।

साल की सभी 24 एकादशी का व्रत वैसे तो कठिन होता है, लेकिन निर्जला एकादशी का व्रत उनसे ज्यादा कठिन होता है।

निर्जला एकादशी जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है। बिना जल का व्रत। अर्तार्थ

 निर्जला एकादशी के व्रत में पानी नही पिया जाता है। अगर कोई पानी पि लेता है, तो उसका व्रत टूट जाता है।

निर्जला एकादशी का व्रत भगवान् विष्णु को खुश करने के लिए और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए रखा जाता है।

अगर आप भी निर्जला एकादशी का व्रत रखते है, तो आपको इन नियमों का पालन करना पड़ेगा। वरना आपका व्रत पूरा नही होगा।

निर्जला एकादशी का सबसे पहला नियम यह है, की इस दिन सूर्यौदय से लेकर सूर्यास्त तक बिलकुल भी पानी नहीं पिया जाता है।

निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर ले फिर भगवान विष्णु की पूजा करके अपना व्रत शुरू करे।

सूर्योदय से पहले भोजन में मांसाहार, प्याज, लहसुन जैसे पदार्थ ग्रहण न करें। गाय माता को चारा और रोटी अवश्य डालें। जरुरत मंद को दान अवश्य दें। 

सूर्यास्त के बाद आप अपना व्रत खोल सकते है, और पानी पी सकते हैं। इस प्रकार व्रत रखें आपकी मनोकामना पूरी होगी।

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